Thursday, April 25, 2024

मां जैसी अम्मा जी और बेबे राष्ट्रपति भवन में

पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद पत्नी श्रीमती राजवंशी देवी जी के साथ।

भारत के अगले राष्ट्रपति के चुनाव की तारीखों का एलान होने के साथ ही एडवर्ड लुटियन के अप्रतिम डिजाइन से बने राष्ट्रपति भवन  को इंतजार है कि उसे यहां फिर से मां जैसी अम्माजी और बेबे मिलेंगी।  अम्माजी और बेबे से मिले आशीर्वाद को राष्ट्रपति भवन में रहन वाले स्टाफ और यहां आने वाले अतिथियों ने देखा है। दरअसल देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की पत्नी श्रीमती राजवंशी देवी जी  के गरिमामयी व्यक्तित्व क चलते उन्हें राष्ट्रपति भवन में रहने तथा काम करने वाले सब अम्माजी कहते थे। वह अति सरल और शालीन महिला थीं।

राजवंशी देवी जी राष्ट्रपति भवन के अंदर चलने वाले स्कूल में होने वाले कार्यक्रमों में भाग लेते हुए मेधावी बच्चों को पुरस्कृत भी करती थीं। हर वर्ष 1 फरवरी को राष्ट्रपति भवन दिवस मनाया जाता है। राजवंशी देवी जी इस दिन होने वाले  सांस्कृतिक कार्यक्रमों में राष्ट्पति भवन के स्टाफ और उनके परिवारजनों के साथ वक्त बिताया करती थी। उन्होंने कभी राष्ट्रपति भवन के स्टाफ को यह महसूस नहीं होने दिया था कि वे देश के राष्ट्रपति की पत्नी हैं।

छठ गीत गाती राजवंशीदेवी जी

राष्ट्रपति भवन में भारत के पूर्व अंतरराष्ट्रीय फुटब़ॉल खिलाड़ी अनादि बरूआ का परिवार करीब चालीस साल रहा। वे बताते हैं कि राजवंशीजी देवी जी कभी-कभी खुद अपनी पौत्रियों को राजा बाजार (कनॉट प्लेस) के ऱघुमल कन्या विधालय में सुबह छोड़ने जाती थीं। राजधानी में छठ पर्व की शुरूआत 1950 के दशक के मध्य से श्रीकांत दुबे और उनके साथियों ने सरोजनी नगर से की। तब ही दिल्ली में भोजपुरी समाज बना था। उसके छठ के कार्यक्रमों में भी राजवंशी देवी जी आती और सब महिलाओं के साथ बैठकर छठ के गीत गाया करती थीं। विनम्रता की मिसाल थी  वह।

 बेबे का स्नेह किसे मिला

राजवंशी जी के बाद उन्हीं की तरह की विनम्रता और मां की तरह का स्नेह और प्यार देन वाली देश की प्रथम नागरिक राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की पत्नी प्रधान कौर जी भी थीं। उन्हें राष्ट्रपति भवन में सब बेबे कहते थे। पंजाब में बेबे परम आदरणीय महिला के लिए कहा जाता है। प्रधान कौर जी राष्ट्रपति भवन के चर्तुथ श्रेणी के मुलाजिमों के घरों में सुख-दुख में भाग लेने चली जाती थी। किसी परिवार से उन्हें शादी ब्याह का निमंत्रण मिलता तो वह उपहार लेकर पहुंच जाती थी। उन्हें बेहद नेक महिला के रूप में याद किया जाता है। हालांकि वह अपने पति के साथ देश विदेश की यात्राओं में तो नहीं जाती थीं। प्रधान कौर जी राष्ट्रपति भवन परिसर में कभी-कभी घूमते हुए वहां के स्टाफ का हाल-चाल पूछने के लिए रूक जाती थीं। स्टाफ से प्रेम से बात किया करती थीं।

 कौन रहता था कभी-कभी मुगल गार्डन में

इस बीच, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के बाद एस. राधाकृष्णन देश के राष्ट्रपति बने थे। वे विधूर थे। उनकी पत्नी का निधन 1956 में हो गया था। डॉ. जाकिर हुसैन की पत्नी श्रीमती शाहजहां बेगम अपने परिवार के भीतर ही रहना पसंद करती थीं। वह कभी-कभार मुगल गार्डन में मौजूद रहती थीं। वह अपने पति के साथ जामिया यूनिवर्सिटी के पास के कब्रिस्तान में चिर निद्रा में हैं। वी.वी.गिरी की पत्नी श्रीमती सरस्वती बाई भी राष्ट्रपति भवन तक सीमित थीं। वह धार्मिक प्रवृति की महिला थीं। वह भी राष्ट्रपति भवन के अंदर चलने वाले स्कूल तक में भी नहीं जाती थी किसी समारोह में  मुख्य अतिथि के रूप में।

बेगम आबिदा अहमद जाती थीं देश-विदेश

वी.वी. गिरी के बाद राष्ट्रपति बने डॉ. फ़ख़रुद्दीन अली अहमद बने। उनकी पत्नी बेगम आबिदा अहमद जी भारत की प्रथम महिला नागरिक थीं जो अपने पति के साथ देश-विदेश में जाया करती थीं। वह काफी सामाजिक महिला थीं। बेगम आबिदा अहमद राष्ट्रपति भवन के स्कूल में स्वाधीनता दिवस तथा गणतंत्र दिवस समारोहों में अवश्य भाग लेती थीं। डॉ. फ़ख़रुद्दीन अली अहमद के निधन के बाद वह राजनीति में सक्रिय रहीं। वह 1980 और 1984 में उत्तर प्रदेश के बरेली संसदीय क्षेत्र से लोक सभा की दो बार सदस्य थी। उनका बहुत सक्रिय सामाजिक जीवन था। वह अपने पति के साथ राजधानी में संसद भवन के पास की एक मस्जिद से दफन की गई थीं।


डॉ. फ़ख़रुद्दीन अली अहमद पत्नी बेगम आबिदा अहमद के साथ 

एन.संजीव रेड्डी की पत्नी श्रीमती नागा रत्नम्मा भी  सामाजिक रूप से बहुत एक्टिव नहीं रहीं। वह कभी-कभी ही राष्ट्रपति में दिखाई दती थीं। श्रीमती नागा रत्नम्मा की तरह आर.वेकटरामन की पत्नी श्रीमती जानकी वेंकटरामन भी थीं। वह  राष्ट्रपति भवन के स्टाफ से भी कम ही मिला-जुल करती थीं।   उनके बाद डा. शंकर दयाल शर्मा देश के राष्ट्पति बने। उनकी पत्नी श्रीमती विमला शर्मा बीच-बीच में राष्ट्रपति स्टाफ से मिल लिया करती थीं। वह मृदु भाषी थीं। उनका 2020 में निधन हो गया था।

  स्टाफ से दूरी बनाकर रखती थीं वह

के.आर.नारायणन देश के  दसवें राष्ट्रपति थे। उनकी पत्नी उषा नारायणन मूल रूप से म्यामांर की रहने वाली थीं। बेगम आबिदा अहमद की तरह वह भी अपने पति के साथ विदेश यात्राओं में जाती थीं। पर वह राष्ट्रपति भवन के स्टाफ से दूर ही रहती थीं।  उषा जी पृथ्वीराज रोड स्थित एक ईसाई कब्रिस्तान में अपने पति के साथ ही दफन हैं। फिर अविवाहित एपीजे अब्दुल कलाम देश के राष्ट्रपति बने।

देवीसिंह रणसिंह शेखावत भारत की पूर्व राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल के पति हैं। वे अपनी पत्नी और देश की राष्ट्रपति के साथ देश-विदेश भी आते-जाते थे। वे राष्ट्रपति भवन में होने वाले आयोजनों में उपस्थित रहते थे।

 वह पढ़ाती थी स्कूल में

 प्रणव कुमार मुखर्जी की पत्नी शुभ्रा मुखर्जी जी का अपने पति के सेवाकाल के दौरान 18 अगस्त 2015  को निधन हो गया था। वह शिक्षाविद्द थीं। वह लेडी इरविन स्कूल में पढ़ाती थीं। वह मुगल गॉर्डन के मालियों से मिलती रहती थीं ताकि मुगल गॉर्डन में रंग-बिरंगे फूलों की छटा बिखरती रहे।

भारत की मौजूदा प्रथम महिला नागरिक श्रीमती सविता कोविन्द कार्यशील हैं। वह जमीन से जुड़ी हुई महिला हैं। सविता जी राष्ट्रपति भवन के भीतर कोविड-19 से बचाव के लिए जरूरी मास्क बनाती रहीं। सविता जी भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की तरह राष्ट्रपति भवन के मुलाजिमों के साथ मिलती-जुलती हैं। यानी राजवंशी देवी जी और प्रधान कौर जी ने जिस परम्परा को शुरू किया था वह राष्ट्रपति में पिछले पांच सालों से जारी है।  

अब देखिए कि देश को अगला राष्ट्रपति कौन मिलता है? क्या राजवंशी देवी जी या प्रधान कौर से प्रभावित कोई प्रथम महिला मिलेगी देश को या फिर देवीसिंह रणसिंह शेखावत के साथ एक कोई और नाम जुड़ेगा।

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