Wednesday, May 8, 2024

शिंज़ो आबे जैसे भारत ने कोई अपना ही खो दिया हो।

जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे  के अकाल मृत्यु से भारत का शोकाकुल होने स्वाभाविक है। वे भारत के सच्चे मित्र थे। अबे पहली बार सन 2006 में जापान के प्रधानमंत्री बने थे। वे तब भारत की यात्रा पर आए थे। उन्होंने संसद को संबोधित भी किया था। उस समय केन्द्र में डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी। अपने ओजस्वी वक्तव्य में उन्होंने भारत-जापान मैत्री पर विस्तार से अपने विचार रखे थे। वे तब महात्मा गांधी की समाधि पर गए थे बापू को श्रद्दांजलि अर्पित करने के लिए। उन्होंने 2007 में अपना पद छोड़ दिया था बीमार रहने के कारण। अबे दूसरी बार प्रधानमंत्री बने 20114 में। वे तब जनवरी 2014, दिसंबर 2015 तथा सितंबर 2017 में भारत आए। उनसे अधिक बार कोई भी जापानी प्रधानमंत्री भारत नहीं आया।

जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे को लेकर नरेन्द्र मोदी धर्मनगरी बनारस गए थे। दोनों ने दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती में भाग लिया। जापान भारत से भगवान गौतम बौद्ध के चलते अपने को भावनात्मक स्तर पर करीब पाता है। और गंगा सिर्फ एक नदी नहीं, भारतीय संस्कृति की वाहक भी है। गंगा के रूप में एक बड़ा आयाम जोड़कर दोनों देशों के आपसी रिश्तों को और मजबूत करने की दिशा में यह ठोस पहल थी।

बेशक, गंगा आरती महज पूजाविधि नहीं है। मोदी-आबे ने गंगा आरती मे भाग लेकर दुनिया में भारत की खोई हुई या यूं कहें कि तिरस्कृत हो चुके सांस्कृतिक राष्ट्रवाद ने अपनी जगह बनाई थी। निर्विवाद रूप से हमारे यहां स्वाधीनता के बाद  राजनैतिक सत्ता ने इस छवि को नजरअंदाज कर एक उपभोगी देश की छवि के रूप में भारत को दुनिया के सामने पेश किया था। उसने संस्कृति के नाम पर ताज महल के मकबरे को ही खूब भुनाया गया। जब भी कोई राष्ट्राध्यक्ष या खास मेहमान भारत आया तो उसे ताज महल के दीदार करवा दिए गए। गंगा आरती के बहाने गंगा की ब्रांडिंग तो सही माने में भारत के लिए आत्मगौरव का क्षण था।

 बुलेट ट्रेन पर रहेगी आबे की छाप

शिंजो आबे के दौर में ही  बुलेट ट्रेन को भारत में चलाने पर भी समझौता जापान के साथ हो गया।  बुलेट ट्रेन परियोजना विकसित भारत के  एक सपने को साकार करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होने जा रही है। इस परियोजना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए जापान के साथ जो करार हुआ है वह भी उत्साहित करने वाला है। दूसरे देशों को जिस दर पर जापान ऋण देता है उससे काफी कम दर पर भारत को मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए जरूरी राशि मुहैया करा रहा है। ऋण वापसी की मियाद भी 25 वर्षों की जगह 50 वर्ष रखी गयी है।

शिंजो अबे ने भारत के साथ जिस तरह की ठोस मैत्री की बुनियाद रखी दी थी उसके चलते जापान से दिल्ली मेट्रो रेल निगम को उसके चौथे फेज के निर्माण में तेजी लाने के लिए जापानी कंपनी जापान इंटरनेशनल कॉ-ऑपरेशन एजेंसी ने मदद की। कोरोना वायरस के चलते 22 मार्च 2020 से अचानक बंद हुई दिल्ली मेट्रो को 1500 करोड़ रुपये के आसपास का घाटा हो गया था। ऐसे में नए प्रोजेक्ट के लिए उसे वित्तीय मदद की दरकार थी।

शिंजो अबे सन 2014 के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि थे। वे जब भारत आए तब पहले डॉ. मनमोहन सिंह और फिर नरेन्द्र मोदी देश के प्रधनामंत्री थे। वे भारत के 65वें गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। अबे राजपथ पर आयोजित परेड समारोह को देखकर मंत्र मुग्ध हो गए थे। उन्हें परेड के माध्यम से भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक पहलुओं और सैन्य शक्ति को जानने का अवसर मिला था। वे तब तीन दिन की आधिकारिक यात्रा पर भारत आए थे। प्रधानमंत्री अबे के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में भोज भी आयोजित किया गया था। उनकी उस यात्रा से एक माह पहले जापान के सम्राट अकिहितो और उनकी साम्राज्ञी पत्नी मिचिको  छह दिन की भारत यात्रा पर आए थे। 1990 में राज्याभिषेक होने के बाद सम्राट की किसी दक्षिण एशियाई देश की यह पहली भारत यात्रा थी।

मिलते थे अपनों से भी आबे

शिंजो अबे जब भी राजधानी आए तो वे दिल्ली और एनसीआर में रहने वाले अपने देश के नागरिकों से भी मिलते थे। वे अपनी 2014 की नई दिल्ली यात्रा के समय वसंत कुंज में स्थित जापानी स्कूल क बच्चों से भी मिले थे। इसमें दिल्ली और एनसीआर में रहने वाले जापानी परिवारों के बच्चे दाखिला लेते हैं। चूंकि दिल्ली में जापानी राजनयिकों और दूसरे जापानी नागरिकों की तादाद बढ़ रही थी इसलिए यहां पर जापानी स्कूल खोला गया। बता दें कि गुरुग्राम में तीन हजार से अधिक जापानी नागरिक रह रहे हैं। दिल्ली, गुरुग्राम,नोएडा वगैरह में रहने वाले जापानी नागरिक होंडा सिएल कार, होंडा मोटरसाइकिल, मारुति, फुजी फोटो फिल्मस, डेंसो सेल्ज लिमिटेड, डाइकिन श्रीराम एयरकंडशिंनिंग, डेंसो इंडिया लिमिटेड समेत लगभग दो दर्जन जापानी कंपनियों के  दफ्तरों और फैक्ट्रियों में काम करते हैं। ये भगवान बुद्ध के अनुयायी तो हैं ही । ये भारतभूमि को गौतम बुध की भूमि होने के कारण ही पूज्नीय मानते हैं। ये मानते हैं कि भगवान बौद्ध का जीवन समाज से अन्याय को दूर करने के लिए समर्पित था। उनकी करुणा भावना ने ही उन्हें विश्व भर के करोड़ों लोगों के ह्रदय तक पहुंचाया।

शिंजो आबे के दिवंगत होने से भारत ने अपना एक प्यारा और भरोसे का मित्र  खो दिया है। भारत- जापान मैत्री को दिशा देने में उनकी भूमिका सदैव याद रखी जाएगी।

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