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काशी विश्वनाथ
समय ठहरता नही। अगर ठहरता है तो सिर्फ़ स्मृतियों में: उम्र ६०; फ़लसफ़ा अनंत
संन्यस्तं मया संन्यस्तं मया संन्यस्तं मयेति
त्रिरुक्त्वाभयं सर्वभूतेभ्यो मत्तः सर्वं प्रवर्तते-
मैने संन्यास लिया, मैंने संन्यास लिया, मैंने संन्यास लिया, आरूणेय उपनिषद के इस श्लोक के...