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कबीर
“पंडित कुछ करो। जो कर रहे हो, वह पत्रकारिता नहीं है।”
निर्भयनिर्गुण ,गुणरेगाऊँगा
प्रभाष जी आज होते तो चौरासी बरस पूरा कर पिचास्वी में होते (जन्मदिवस: १५ जुलाई, १९३६)। देश की मौजूदा समस्याओं पर उनकी दृष्टि...
”देखो हमरी काशी” : वो बनारसी जो समूची दुनिया को ठेंगे पे रखते हैं।
(तो छप कर आ ही गयी ”देखो हमरी काशी”। ये हेमंत शर्मा की इतवारी कथा का संकलन है। संकलन ऐसा की आप में बार...
हिन्दू धर्म के मर्म को समझिए और हिन्दुत्व पर कृपा कीजिए
हिन्दुत्व को लेकर जंग छिड़ी है। ‘हिन्दुत्व’ राजनीति के दुश्चक्र में फंस गया है। एक तरफ़ हाहाकारी हिन्दुत्ववादी हैं और दूसरी ओर “मैं हिन्दू...